आप सभी हमारे भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों के बारे में तो जानते ही होंगे। ये खिलाड़ी हमेशा अपने खेल और अपनी निजी जिंदगी को लेकर चर्चा में रहते हैं। दोस्तों भारतीय क्रिकेट टीम में कुछ खिलाड़ी ऐसे भी हैं जो गरीबी के बीच बड़े हुए हैं। इन खिलाड़ियों ने अपने जीवन में बहुत कठिनाइयाँ और संघर्ष किए हैं। आज हम आपको उन 5 खिलाड़ियों के बारे में बताने जा रहे हैं। तो आइए जानते हैं इन खिलाड़ियों के बारे में।
इरफ़ान पठान
भारत के लिए सबसे तेज 100 विकेट लेने वाले तेज गेंदबाज इरफान पठान का जन्म 27 अक्टूबर 1984 को गुजरात के बड़ौदा में एक गरीब परिवार में हुआ. इनके पिता महमूद पठान मस्जिद में मुअज्ज़िन का कार्य करते थे. घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. मस्जिद के पीछे बने एक छोटे से कमरे में इरफान का बचपना गुजरा.
गरीब माता-पिता अपने बेटे को पढ़ा लिखाकर एक इस्लामिक इस्कॉलर बनाना चाहते थे. लेकिन, इरफान ने अपनी दुनिया कहीं और ढूंढ ली थी. उन्हें बचपन से ही क्रिकेट का जुनून था. पहले परिवार से छुप-छुपाकर क्रिकेट खेलने जाते. बाद में जब परिजनों ने अपने काबिल बच्चे की क्रिकेट के लिए उसकी लगन और मेहनत देखी तो मना नहीं कर सके.
गरीब पिता ने फिर बेटे के लिए जो बन आया वह किया. इरफान भी अपना पूरा फोकस क्रिकेट पर करने लगे. लगातार 6-6 घंटे तक चिलचिलाती धूप में उन्होंने जमकर पसीना बहाया. उनके जुनून के सामने गरीबी भी रुकावट नहीं बन सकी. इरफान बता चुके हैं कि उनके पास इतने पैसे नहीं होते थे कि वे और उनके भाई युसूफ नए क्रिकेट किट खरीद सके.
इसके लिए उन्होंने सालों सेकेंड हैंड क्रिकेट किट का इस्तेमाल किया. लेकिन उनके हाथ में नई गेंद बल्लेबाजों के लिए घातक रूप ले लेती थी. तब उन्हें भी शायद नहीं पता रहा होगा कि भविष्य में यह स्विंग होती नई गेंद इतिहास में दर्ज हो जाएगी.
मोहम्मद शमी
अमरोहा में गरीब किसान के घर में जन्मे मोहम्मद शमी बचपन से ही क्रिकेट खेलने के शौकीन थे. उनके पिता ने जब अपने बेटे को तेज गेंदबाजी करते देखा तो वो उसके कायल हो गए. शमी जब 15 साल के थे तो पिता ने उन्हें मुरादाबाद क्रिकेट एकेडमी में ट्रेनिंग के लिए भेजा. कोच बदरुद्दीन सिद्दीकी भी शमी की तेज-तर्रार गेंदों को देख दंग रह गए. कोच बदरुद्दीन उन्हें यूपी की अंडर-19 क्रिकेट टीम ट्रायल में ले गए जहां शमी का चयन नहीं हुआ. इस नाकामी के बाद कोच बदरुद्दीन ने उन्हें कोलकाता जाने की सलाह दी.
शमी कोलकाता के डलहौजी क्लब से खेलने लगे और वहां बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्व अधिकारी ने उन्हें गेंदबाजी करते देखा. शमी को मोहन बागान क्लब भेजा गया जहां सौरव गांगुली ने उनकी गेंदबाजी देखी. दादा ने शमी का टैलेंट पहचान लिया और उन्होंने सेलेक्टर्स को शमी पर खास नजर रखने के लिए कहा. इसके बाद शमी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और आज ये तेज गेंदबाज टेस्ट क्रिकेट में अपने 200 विकेट पूरे कर चुका है.
रवींद्र जडेजा।
रवींद्र जडेजा को आप सभी अच्छी तरह से जानते हैं। भारतीय क्रिकेट टीम में रवींद्र की बड़ी भूमिका है और उनकी लोकप्रियता भी काफी ज्यादा है। लेकिन दोस्तों क्या आप जानते हैं कि रवींद्र का बचपन गरीबी में बीता। उसके पिता एक सिक्युरिटी गार्ड थे और उसकी माँ एक नर्स थी। वह सरकारी क्वार्टर में रहते था। उन्होंने अपने जीवन में कई कठिनाइयों और संघर्षों के माध्यम से सफलता हासिल की है।
एमएस धोनी।
इस सूची में दूसरे स्थान पर एक प्रसिद्ध भारतीय क्रिकेटर एमएस धोनी हैं। एमएस धोनी को कौन नहीं जानता। न केवल भारत में बल्कि अन्य देशों में भी उनकी लोकप्रियता बहुत अधिक है। एमएस भी अपने जीवन में काफी कठिनाइयों और संघर्षों से गुजरा है। आपने उनकी बायोपिक ‘एमएस धोनी’ तो देखी ही होगी. उनके पिता पिच क्यूरेटर थे और एमएस टिकट कलेक्टर के रूप में भी काम करते थे। उन्हें अपने जीवन में इतनी सफलता मिली है कि उन्होंने इतना संघर्ष किया है।
भुवनेश्वर कुमार।
तीसरे नंबर पर भुवनेश्वर कुमार हैं। उत्तर प्रदेश के एक गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार ने एक साक्षात्कार में अपने संघर्ष का खुलासा किया। एक समय उनके पास क्रिकेट खेलने के लिए अच्छे जूते नहीं थे। उनका बचपन गरीबी में बीता। लेकिन अब उन्होंने दुनिया भर में अपना नाम बना लिया है।
उमेश यादव।
चौथे नंबर पर गेंदबाज उमेश यादव हैं। उमेश के पिता एक कोयला कारखाने में काम करते थे। उनके पिता ने परिवार को सही भोजन उपलब्ध कराने के लिए कड़ी मेहनत की। उसके परिवार को दो वक्त का खाना खाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। उमेश ने आज अपने संघर्षों और मुश्किलों से कामयाबी हासिल की है।
हरभजन सिंह।
सूची में सबसे नीचे भारतीय क्रिकेटर हरभजन सिंह हैं। हरभजन सिंह ने भारतीय क्रिकेट टीम में अपना नाम बनाया है और उनकी लोकप्रियता काफी ज्यादा है। हालांकि, हरभजन बचपन में गरीबी में रहे और अपनी खराब आर्थिक स्थिति के कारण उन्होंने ट्रक ड्राइवर बनने का फैसला किया। हालांकि, अपनी कड़ी मेहनत और संघर्ष के कारण वह भारतीय क्रिकेट टीम के लिए खेलने में सफल रहे।