नोएडा के सेक्टर 93ए में स्थित सुपरटेक के ट्विन टावर को ढहा दिया गया है. सुरक्षा के लिहाज से आसपास के इलाके को पूरी तरह खाली करा लिया गया था. इस कार्रवाई के दौरान सड़कों को पूरी तरह से बंद कर दिया गया था. इस दौरान 400 से अधिक पुलिसकर्मियों को बिल्डिंग के आसपास के क्षेत्र में तैनात किया गया था.
वहीं भ्रष्टाचार की बुनियाद पर खड़ी हुई इस इमारत को ध्वस्त कराने में लंबी लड़ाई लड़ने वाले एमराल्ड कोर्ट के निवासी अपनी इस बड़ी जीत से बेहद खुश नजर आ रहे हैं. इस बीच अब सुपरटेक के मालिक आरके अरोड़ा का बयान भी सामने आया है, जिसमें उसने अपने अन्य प्रोजेक्ट और उनसे जुड़े बायर्स को लेकर भी कई बातें कही हैं.
दरअसल, सुपरटेक के मालिक आरके अरोड़ा ने बयान जारी कर कहा, “सेक्टर-93ए में ट्विन टावर एपेक्स और सियान नोएडा प्राधिकरण द्वारा आवंटित जमीन पर बनाए गए हैं. दोनों टावरों सहित प्रोजेक्ट के बिल्डिंग प्लान को 2009 में नोएडा प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित किया गया था, जिसमें राज्य सरकार द्वारा घोषित तत्कालीन बिल्डिंग बायलॉज का सख्ती से पालन किया गया
बिल्डिंग प्लान के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई और प्राधिकरण को पूरा भुगतान करने के बाद ही बिल्डिंग का निर्माण किया गया था. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने तकनीकी स्तर पर निर्माण को सही नहीं मानते हुए दोनों टावरों को गिराने का आदेश जारी किया. हम कोर्ट आदेशों का सम्मान करते हैं और इसका पालन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
हमने ध्वस्तीकरण के लिए दुनिया की नामी एजेंसी एडिफिस इंजीनिरिंग को चुना, जो हाईराइज बिल्डिगों को सुरक्षित तरीके से ध्वस्त करने में माहिर है. इन ट्विन टावर्स में 711 ग्राहकों ने फ्लैट बुक कराए थे. इनमें से सुपरटेक ने 652 ग्राहकों का सेटलमेंट कर दिया है. बुकिंग अमाउंट और ब्याज मिलाकर रिफंड का विकल्प आजमाया गया है. मार्केट या बुकिंग वैल्यू+इंटरेस्ट की कीमत के बराबर प्रॉपर्टी दी गई है.
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बिल्डर ने प्रॉपर्टी की कीमत कम या ज्यादा होने पर पैसा रिफंड किया या अतिरिक्त रकम ली. जिन लोगों को बदले में सस्ती प्रॉपर्टी दी गई उनमें सभी को अभी तक बाकी रकम नहीं मिली है. ट्विन टावर्स के 59 ग्राहकों को अभी तक नहीं मिला रिफंड नहीं मिला है. रिफंड की आखिरी तारीख 31 मार्च 2022 थी. कुल 950 फ्लैट्स के इन 2 टावर्स को बनाने में ही सुपरटेक ने 200 से 300 करोड़ रुपये खर्च किए थे. गिराने का आदेश जारी होने से पहले इन फ्लैट्स की मार्केट वैल्यू बढ़कर 700 से 800 करोड़ तक पहुंच चुकी थी.