आज़ाद भारत के लिए सैकड़ों हज़ारों लोगों ने अपने जान की आहुति दी है।
तब जा कर आज आन बान शान से हनारा तिरंगा लहरा रहा है। इनकी कुबनियों को दिल से सलाम।
15 अगस्त के शुभ अवसर पर लाल किले पर टिंग झंडा फहराया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि आज़ाद भारत मे लाल किले पर पहला तिरंगा झंडा फहराने वाले जनरल शाहनवाज़ खान थे। 3-3 प्रधानमंत्रियों ने अपने भाषण में भी इसका जिक्र किया है।
इन महान देभक्तों में जनरल शाहनवाज खान का नाम बड़े आदर और मान से लिया जाता है. आजाद हिंद फौज के मेजर जनरल शाहनवाज खान महान देशभक्त, सच्चे सैनिक और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बेहद करीबियों में शुमार थे.
ब्रिटिश हुकूमत का झंडा उतारकर आज़ाद हिंदुस्तान में लाल किले पर तिरंगा लहराने वाले जनरल शाहनवाज ही थे.इतना ही नही हिंदुस्तान के पहले तीन प्रधानमंत्रियों ने लालकिले से जनरल शाहनवाज का जिक्र करते हुए संबोधन की शुरुआत की थी.
शाहनवाज़ के शौर्य का जब जिक्र किया जाता है तो आज भी लालकिले में रोज शाम छह बजे लाइट एंड साउंड का जो कार्यक्रम होता है, उसमें नेताजी के साथ जनरल शाहनवाज की आवाज है. डाक विभाग महान स्वतंत्रा सेनानी जनरल शाहनवाज खां, कर्नल प्रेम चंद और कर्नल गुरुबख्शक पर डाक टिकट जारी कर चुका है.
1952 में पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर मेरठ से चुनाव जीते. इसके बाद वर्ष 1957, 1962 व 1971 में मेरठ से लोकसभा चुनाव जीता. मेरठ लोकसभा सीट से प्रतिनिधित्व करने वाले जनरल शाहनवाज खान 23 साल केंद्र सरकार में मंत्री रहे. 1952 में चुनाव जीतने के बाद वह पार्लियामेंट्री सेक्रेटी और डिप्टी रेलवे मिनिस्टर बने. 1957-1964 तक वह केन्द्रीय खाद्य एवं कृषि मंत्री के पद पर रहे. 1965 में कृषि मंत्री एवं 1966 में श्रम, रोजगार एवं पुर्नवास मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली. 1971 से 1975 तक उन्होंने पेट्रोलियम एवं रसायन और कृषि एवं सिंचाई मंत्रालयों की बागडोर संभाली. 1975 से 1977 के दौरान वह केन्द्रीय कृषि एवं सिंचाई मंत्री के साथ एफसीआई के चेयरमैन का उत्तदायित्व भी उन्होंने संभाला. मेरठ जैसे संवेदनशील शहर का दो दशकों से अधिक प्रतिनिधित्व जनरल खान ने किया और उनके कुशल नेतृत्व और सबको साथ लेकर चले।
1956 में भारत सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की नेताजी की मौ”त के कारणों और परिस्थितियों के खुलासे के लिए एक कमीशन बनाया था, जिसके अध्यक्ष जनरल शाहनवाज खान ही थे.
24 जनवरी 1914 को शाहनवाज़ का जन्म हुआ था।जब बड़े हुए तब जनरल शाहनवाज ब्रिटिश आर्मी में शामिल हुए थे, उस वक़्त विश्व युद्ध चल रहा था और उनकी तैनाती सिंगापुर में थी.
जनरल शाहनवाज खान शुरू में नेताजी सुभाष चंद्र बोस से प्रभावित हुए तो बाद में गांधी जी के साथ रहे. बाद में पंडित नेहरु ने उन्हें ‘खान’ की उपाधि से नवाजा.
जनरल खान के परिवार में उनके तीन पुत्र महमूद नवाज, अकबर नवाज, अजमल नवाज और तीन पुत्रियां मुमताज, फहमिदा और लतीफ फातिमा हैं. लतीफ फातिमा को उन्होंने गोद लिया था. लतीफ फातिमा ही बालीवुड के मशहूर अभिनेता शाहरूख खान की मां हैं. इस नाते जनरल शाहनवाज़ खान अभिनेता शाहरुख खान के नाना हुए।
जनरल खान के पोते भी हैं। आदिल शाहनवाज इनके पोते हैं जो अपने दादा के नाम से जनरल शाहनवाज खान फांउडेशन का संचालन करते हैं.
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