बॉलीवुड के बेहतरीन कॉमेडियन रहे कादर खान अपनी एक्टिंग और कॉमेडी के दम पर हमारे दिलों में छाप छोड़ गए हैं.
हिन्दी सिनेमा में बेहतरीन कलाकार रहे है उनमें से कादर खान भी एक बाॅलीवुड फिल्म एक्टर, स्क्रीन राइटर, कॉमेडी एक्टर और फिल्म डायरेक्टर थे. एक एक्टर के रूप में, वह 1973 में फिल्म दाग में अपनी पहली शुरुआत की थी.इस के बाद 300 से ज्यादा हिन्दी सिनेमा में दिखाई दिए है. आपको बता दें कि वह 1970 से 1999 के बीच बॉलीवुड फिल्मों के लिए एक बेहतरीन स्क्रीन राइटर भी थे और उन्होंने 200 फिल्मों के लिए डायलोग लिख रखे है. खान ने बॉम्बे विश्वविद्यालय से संबद्ध इस्माइल युसूफ कॉलेज से ग्रेजुएट पढा है. 1970 के दशक के आरंभ में फिल्म जगत में प्रवेश करने से पहले, उन्होंने एम. एच. साबू सिद्दीक कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, मुंबई में सिविल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर के रूप में पढ़ाना शुरू किया था.
अपने पीछे छोड़ी इतनी संपत्ति
आपको बता दें कि शानदार कलाकार कादर खान साल 2018 में 81 वर्ष की उम्र में हमे छोड़ कर चले गए हैं. वह अपने बच्चों के करोड़ों की प्राॅपर्टी छोड़ कर गए हैं. एक वक्त ऐसा था जब उन्हें एक प्ले के लिए 100 रुपए कमाए थे. उन पैसों को भी एक्टर को फैमिली के लिया खर्च करना पड़ गया था. दरअसल मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार तो वह 69 करोड़ की प्राॅपर्टी के मालिक थे. महान एक्टर ने करोड़ों की प्राॅपर्टी अपनी मेहनत से कमाई थी. कादर ने फिल्मों में अभिनय करने के साथ ही टीवी पर भी कई सारे विज्ञापन भी किए हैं. यहीं से कादर खान ने अपना सब बनाया था.
कादर खान की फैमिली
अभिनेता कादर खान स्वास्थ्य कारणों से टोरंटो जाने तक मुंबई में रह रहे थे. उनके तीन बेटे थे सरफराज खान, शाहनवाज खान, और तीसरा बेटा कुद्दुस जो कनाडा में रहता था. हालाँकि 2021 में उसका निधन हो गया. उनके बेटे सरफराज खान ने भी कई फिल्मों में अभिनय किया हुआ है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार तो खान ने कनाडा की नागरिकता ली हुई थी और 2014 में हज करने के लिए मक्का चले गए थे.
2018 में हुआ था देहांत
बता दें कि कादर खान सुपरन्यूक्लियर पाल्सी जैसी गंभीर बीमारी से ग्रसित थे. उन्हें 28 दिसंबर 2018 को कनाडा में ‘सांस फूलने’ की दिक्कत के चलते अस्पताल में भर्ती करवा दिया गया था, जहां वे इलाज के लिए अपने बेटे और बहू के साथ रह रहे थे. 31 दिसंबर 2018 को खान के बेटे, सरफराज खान ने पिता के निधन के बारे में जानकारी दी थी. उनका अंतिम संस्कार मिसिसॉगा में ISNA मस्जिद में रखा गया था, और उन्हें ब्रैम्पटन के मीडोवाले कब्रिस्तान में दफन किया गया था.
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