Home SPORTS किसी की माँ बेचती है मुर्गी तो किसी के पिता काटते हैं बाल, जानें गरीबी को मात देकर कैसे बने IPL के सुपरस्टार

किसी की माँ बेचती है मुर्गी तो किसी के पिता काटते हैं बाल, जानें गरीबी को मात देकर कैसे बने IPL के सुपरस्टार

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किसी की माँ बेचती है मुर्गी तो किसी के पिता काटते हैं बाल, जानें गरीबी को मात देकर कैसे बने IPL के सुपरस्टार

आईपीएल एक ऐसा मंच है जो युवाओं के सपनों को साकार करने में उनकी मदद करता था. आईपीएल के मंच ने कई खिलाड़ियों को गरीबी से निकालकर शोहरत और दौलत की बुलंदियों पर पहुंचा दिया. आईपीएल में मोटी धनराशि मिलने के बाद ये क्रिकेटर्स शानदार जिन्दगी जी रहे हैं. हालाँकि इन क्रिकेटर्स का आईपीएल तक का सफर काफी संघर्ष भरा रहा. इन क्रिकेटर्स ने और उनके माता-पिता ने काफी संघर्ष किया. आइये जाने-

अभिनव मनोहर

अभिनव मनोहर (ABHINAV MANOHAR) के पिता की एक समय में बैंगलोर में जूते की दुकान हुआ करती थी, जब मनोहर मात्र 6 साल के थे तो पिता ने अपने एक करीबी दोस्त के यहां क्रिकेट सीखने के लिए भेज दिया था.

रिंकू सिंह

रिंकू के पिता एक साधारण गैस डिलीवरी या फिर गैस सिलेंडर वेंडर हैं. उनके चार और भाई हैं। कोई ऑटो चलाता था तो कोई कहीं मजदूरी करता था. दो वक्त की रोटी के लिए रिंकू के घर में बड़ी मेहनत की जाती थी. रिंकू किसी कोचिंग सेंटर में झाड़ू-पोछा लगाते थे.

चेतन सकारिया

चेतन सकारिया की भी जिन्दगी काफी चुनौतियों से भरी रही है. इनके पिता एक ऑटो रिक्शा चलाते थे फिर भी इन्होनें चेतन के क्रिकेटर बनने के सपने को टूटने नहीं दिया. चेतन ने आईपीएल में जबरदस्त प्रदर्शन किया है.

टी. नटराजन

T Natarajan from Tamilnadu makes India ODI debut in Australia | एक ओवर में  6 यॉर्कर डालने वाला तमिलनाडु का क्रिकेटर टी नटराजन ने भारत के लिए किया  डेब्यू | Patrika News

टी. नटराजन के पिता एक तिहाड़ी मजदूर थे जबकि मां सड़क किनारे एक छोटी सी दुकान चलाती थी. टी. नटराजन की माता श्री मुर्गी (चिकन) बेचती हैं. नटराजन की जिन्दगी में सबसे बड़ा मोड़ 2017 में आया जब उन्हें नीलामी में पंजाब ने 3 करोड़ रुपये में खरीदा था.

कुलदीप सेन

कुलदीप सेन मूल रूप से रीवा जिले के हरिहरपुर गांव के रहने वाले हैं. उनके पिता रामपाल सेन रीवा में सिरमौर चौराहे पर बाल काटने की दुकान चलाते हैं. कुलदीप ने पने पहले ही रणजी सीजन में उन्होंने आठ मैच में 25 विकेट लिए थे.

कार्तिकेय सिंह

कार्तिकेय सिंह ने गाजियाबाद के करीब मसूरी स्थित एक फैक्ट्री में मजदूरी का काम शुरू किया. कोच ने कार्तिकेय से पूछा कि रोज इतना लंबा सफर क्यों करते हो तो उन्होंने उनसे अपनी कहानी बताई. ऐसे में उन्होंने अकादमी में ही कुक के साथ रहने की उन्हें अनुमति दे दी. पहले दिन जब वो कुक के साथ रहे और दोपहर में कुक ने उन्हें खाना दिया तो वो रो पड़े क्योंकि एक साल तक उन्होंने दोपहर का खाना नहीं खाया था. रात को खाते और काम करते और दिन में बिस्किट खाकर गेंदबाजी का अभ्यास करते थे.

उमरान मलिक

उमरान के पिता अब्दुल मलिक स्थानीय स्तर पर फल और सब्जियों की दुकान करते हैं. उमरान ने चार साल पहले गुज्जर नगर में कंक्रीट पिच पर अपना करियर शुरू किया था. जब कभी-कभार उमरान रात को टेनिस बॉल से क्रिकेट खेलने जाते थे, तो अब्दुल मलिक अपने बेटे का पीछा करते थे.

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