साकिबुल गनी नए स्टार बनकर उभरे हैं और अपना नाम इतिहास में दर्ज करा लिया है, लेकिन उनके यहां तक पहुंचने की कहानी बेहद ही संघर्ष वाली रही है. क्रिकेट के अच्छे बैट 30 से 35 हजार रुपए के आते हैं. ऐसे में गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले गनी के पास इतने पैसे नहीं थे कि वे बैट खरीद सकें, पर मां तो मां ही होती है. उसने अपने गहने गिरवी रखकर बेटे के सपने को पूरा करने की ठानी और आज परिणाम सबके सामने हैं. गनी फर्स्ट क्लास क्रिकेट के डेब्यू मैच में तिहरा शतक लगाने वाले दुनिया के पहले खिलाड़ी बन गए हैं. 22 साल के बिहार के गनी ने रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) के एक मैच में 405 गेंद पर 341 रन बना डाले. मिजोरम के खिलाफ उन्होंने 56 चौके और 2 छक्के भी जड़े.
साकिबुल गनी इससे पहले जूनियर क्रिकेट में भी अच्छा प्रदर्शन कर चुके हैं. उनके बड़े भाई फैसल गनी ने बताया कि हमारे पास साकिबुल के महंगे बैट खरीदने के पैसे नहीं थे. लेकिन मां ने कभी भी पैसे की कमी महसूस नहीं होने दी. जब भी परेशानी आती थी, मां अपना गहना गिरवी रखकर मदद कर देती थीं. उन्होंने बताया कि पिछले दिनों जब गनी टूर्नामेंट खेलने के लिए जा रहा था कि मां ने उसे 3 बैट दिए. फिर कहा- जाओ बेटा तीन शतक लगा कर आना. उसने पहले ही मैच में तिहरा शतक लगाकर उनके सपने को पूरा कर दिया.
7 साल की उम्र से क्रिकेट खेलना शुरू किया
22 साल के युवा बल्लेबाज साकिबुल गनी ने 7 साल की उम्र से क्रिकेट खेलना शुरू किया था. उनके पिता मोहम्मद मन्नान पीडीएस की दुकान चलाते हैं. उन्होंने बताया कि उसने 7 साल की उम्र से क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था. वह अपने बड़े भाई के साथ खेलने जाता था. हमने हर तरह से उसकी मदद करने की कोशिश. एक बार साकिबुल अपने बड़े भाई फैसल को 2009 में मैच खेलने के लिए पटना एयरपोर्ट छोड़ने गया था. फैसल ने बताया कि मुझे हवाई जहाज में बैठता देख साकिबुल को लगा कि वह भी क्रिकेट खेलेगा तो फ्लाइट से यात्रा कर सकेगा. इसके बाद उसने खेल पर और ध्यान शुरू किया. फैसल तेज गेंदबाज हैं.