Sanath Jayasuriya : शुरूआती 20 सालों तक वन डे क्रिकेट एक निश्चित ढर्रे पर चलता रहा, पहले के 15 ओवर्स में संभलकर विकेट बचाते हुए रन बनाना, फिर धीरे धीरे रन गति बढ़ाना और आखिर के दस ओवर्स में धुआंधार गति से रन बनाना, यह सिलसिला पता नहीं और कितने सालों तक ऐसे ही चलता रहता, लेकिन सन 1993 में एक खिलाड़ी ने इस खेल का नक्शा ही बदल दिया।
यह खिलाड़ी था श्रीलंका का एक गेंदबाज जो कामचलाऊ बैटिंग भी कर लेता था और छठवें या सातवें नंबर पर आकर कुछ रन बना देता था, इस खिलाड़ी का नाम था “सनथ जयसूर्या” (sanath jayasuriya) और उसने अपने टीम के कहने पर 1993 में ओपनिंग करना शुरू किया।
सनथ जयसूर्या का जन्म 30 जून, 1969 को हुआ था और जयसूर्या ने तीन शादियां कीं, उनकी तीनों ही शादियां असफल रहीं, उनकी पहली शादी 1998 में एयर श्रीलंका की ग्राउंड होस्टेस सुमुदु करुणानायक से हुई थी, सुमुदु और जयसूर्या की शादी एक साल के अंदर ही टूट गई थी।
जयसूर्या ने 2000 में एयर होस्टेस सैंड्रा डिसिल्वा से दूसरी शादी की, सैंड्रा से उनके तीन बच्चे हैं, साल 2012 में उनका मल्लिका सिरिसेना से अफेयर शुरू हुआ, मल्लिका सिरिसेना के लिए जयसूर्या ने अपनी दूसरी पत्नी सैंड्रा डिसिल्वा को तलाक दे दिया था।
फरवरी 2012 में जयसूर्या और मल्लिका सिरिसेना ने गुपचुप तरीके से एक मंदिर में विवाह किया था, मल्लिका सिरिसेना पेशे से मॉडल और एक्ट्रेस थीं, हालांकि कुछ ही समय के बाद मल्लिका और सिरिसेना में अनबन होने लगी, नतीजा यह हुआ कि मल्लिका ने जयसूर्या को छोड़कर एक बिजनेसमैन से शादी कर ली
ऐसे बने ओपनर
सनथ जयसूर्या अपने जमाने के दुनिया के सबसे खतरनाक बल्लेबाजों में शुमार रहे हैं, सनथ जयसूर्या रातों रात ओपनर गन गए थे, इसके बाद उन्होंने ओपनिंग की परिभाषा ही बदल दी।
इससे पहले उन्हें कामचलाऊ बल्लेबाज और गेंदबाज के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा था, वर्ष 1996 में उनके कॅरियर में टर्निंग प्वाइंट आया और वह एक गेंदबाज से महान ओपनर बन गए।
मजबूत कदकाठी के इस खिलाड़ी ने शुरूआती ओवर्स में, जब कुछ ही खिलाड़ी बॉउंड्री लाइन पर खड़े हो सकते थे, बेधड़क तरीके से बल्ला घुमाना शरू किया, खेल के शुरूआती ओवर्स में ही, जहां पहले शायद धीमी गति से ही रन बनते थे, अब चौके और छक्के बरसने शुरू हो गए, पहले जिन 15 ओवर्स में बमुश्किल 50 रन बनते थे, अब 75 से 100 रन तक बनने लगे।
इसका असर कुल बनाए गए रनों पर भी पड़ा, पहले जहां 50 ओवर्स में 225 से 240 रन बड़ी मुश्किल से बनते थे, अब 250 से ज्यादा अमूमन हर मैच में बनने लगे और कुछ ही सालों में यह आकड़ा 300 पार कर गया, कुछ मैचों में तो यह 400 को भी पार कर गया।
कोच डेव वॉटमोर ने जब सनथ जयसूर्या (sanath jayasuriya) और रोमेश कालूवितराना को वनडे इंटरनैशनल में पारी की शुरुआत करने की जिम्मेदारी सौंपी, तो किसी को अंदाजा नहीं था खेल हमेशा के लिए बदलने वाला है, दोनों ने मिलकर शुरुआती 15 ओवरों में ताबड़तोड़ रन बनाने शुरू कर दिए, लेकिन वॉटमोर ने रणनीति अपनाई शुरुआत में अटैक करने की और यह कामयाब भी हुई। श्रीलंका 1996 के वर्ल्ड कप चैंपियन बना और जयसूर्या प्लेयर ऑफ द टूर्नमेंट।
400 वनडे खेलने वाले पहले खिलाड़ी
जयसूर्या 2007 में वनडे इंटरनैशनल में 300 विकेट लेने वाले तीसरे स्पिनर बने, इसके साथ ही 400 वनडे इंटरनैशनल मैच खेलने वाले वह पहले खिलाड़ी थी, 38 साल की उम्र में उन्होंने टेस्ट क्रिकेट छोड़ दिया और 42 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट, 445 वनडे इंटरनैशनल में उनके नाम 13430 रन हैं, वहीं 110 टेस्ट मैच में 6973 रन।
19 साल तक नहीं टूट पाया रिकॉर्ड
जससूर्या ने अपने क्रिकेट कॅरियर में ऐसा रिकॉर्ड बनाया था, जिसे विश्व का कोई भी बल्लेबाज 19 वर्ष तक नहीं तोड़ पाया था, 1996 में जयसूर्या ने वनडे क्रिकेट में सबसे तेज अर्धशतक लगाने का रिकॉर्ड बनाया था,vयह रिकॉर्ड उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ सिंगर कप त्रिकोणीय सीरीज के फाइनल में बनाया था।
उन्होंने इस मैच में मात्र 17 गेंदों में 50 रन बनाए थे, जयसूर्या का यह रिकॉर्ड वर्ष 2015 में दक्षिण अफ्रीका के एबी डिविलियर्स ने 16 गेंदों में अर्धशतक बनाकर तोड़ दिया था, सनथ जयसूर्या ने 2011 में इंटरनेशनल क्रिकेट से रिटायरमेंंट ले लिया था।
बदल गया वनडे क्रिकेट
श्रीलंकाई टीम ने वर्ल्ड कप जैसे बड़े टूर्नामेंट में सनथ जयसूर्या (Sanath Jayasuriya) को बतौर ओपनर खिलाने का जुआ खेला और यकीन मानिए उसके बाद पूरी दुनिया दंग रह गई, जयसूर्या ने 1996 वर्ल्ड कप में श्रीलंकाई टीम को हर मैच में तूफानी शुरुआत दिलाई।
नतीजा ये हुआ कि श्रीलंकाई टीम वर्ल्ड कप 1996 में एक भी मैच नहीं हारी और आखिर में उसने खिताब भी जीता, जयसूर्या (Sanath Jayasuriya) ने साल 1996 वर्ल्ड कप में 221 रन बनाए, उन्होंने 6 विकेट भी लिए साथ ही उन्होंने 7 कैच भी लपके और उन्हें टूर्नामेंट का सबसे कीमती खिलाड़ी चुना गया।
जिस श्रीलंकाई टीम को 1996 वर्ल्ड कप का दावेदार भी नहीं माना जा रहा था उसने जयसूर्या को ओपनर बनाकर पूरा खेल ही पलट दिया, यही नहीं जयसूर्या की पावरप्ले में क्रांतिकारी बल्लेबाजी ने पूरे वर्ल्ड क्रिकेट की सोच बदल दी, इसके बाद सभी टीमें पहले 15 ओवर में आक्रमण की रणनीति अपनाने लगी।