यह शतक मेरे अब्बू की वजह से है. यह उनके बलिदान की वजह से है और उस समय मेरा हाथ थामने की वजह से है जब मैं निराश था. रणजी ट्रॉफी फाइनल (Ranji Trophy final) में शतक जड़ने के बाद डबडबाई आंखों से सरफराज खान (Sarfaraz Khan) यही कह रहे थे. मध्यप्रदेश के खिलाफ पहली पारी में 134 रन बनाने के बाद सरफराज ने खास अंदाज में सेलिब्रेशन किया.
आप सब जानते तो हो मेरे साथ क्या-क्या हुआ. अब्बू न होते तो मैं खत्म हो जाता. जब मैं छोटा था तो मुंबई की जर्सी पहनकर सेंचुरी लगाना, मेरा सपना था. अब मैंने फाइनल में तब शतक लगाया, जब टीम मुश्किल में थी. मेरी इस सफलता में अब्बू का बड़ा रोल है. मैंने उन्हें संघर्ष करते देखा है. मैं इमोशनल हो गया, उन्होंने मेरा हाथ कभी नहीं छोड़ा.
नौशाद के दोनों बेटे मुंबई टीम में
मैच के बाद उन्होंने कहा, ‘नौशाद के दोनों बेटे सरफराज और मुशीर मुंबई टीम में ही खेलते हैं. यह पूछने पर कि क्या भारतीय टीम में जगह बनाने का सपना पूरा होने की ओर है? इस सवाल के जवाब में सरफराज की आंखे डबडबा गईं. उन्होंने कहा, ‘हमारी जिंदगी सब कुछ उन छोटे छोटे सपनों के लिए हैं, जिन्हें हम संजोते हैं. सपने हम (वह और उनके पिता) साथ देखते हैं. मैंने मुंबई में वापसी के बाद से दो सीजन में जो 2000 के करीब रन बनाए हैं, वह सब मेरे अब्बू की वजह से है.’
पिछले रिकॉर्ड से आगे बढ़े
सरफराज खान का यह रणजी सीजन में चौथा शतक है. टूर्नामेंट के 2 सीजन में 900 से ज्यादा रन बनाने वाले सरफराज अब तीसरे बल्लेबाज बन चुके हैं, उनसे पहले अजय शर्मा और वसीम जाफर ऐसा कर चुके हैं. फर्स्ट क्लास क्रिकेट में शतकों के मामलों में यह उनका न्यूनतम स्कोर है, इससे पहले सभी शतक 150+ का रहा है. मौजूदा सीजन में महज छह मैचों में 133.85 के औसत से 937 रन बना चुके हैं. सरफराज ने अपनी पारी में 243 गेंद का सामना करते हुए 13 फोर और दो सिक्स मारे.
सिद्धू मूसेवाला को दी श्रद्धांजलि
सरफराज पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला के प्रशंसक हैं जिनकी हाल में एक गैंग ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. सरफराज ने शतक जड़ने के बाद मूसेवाला के स्टाइल (जांघ पर हाथ मारकर) में जश्न बनाया. इसके बारे में पूछने पर सरफराज ने कहा, ‘यह सिद्धू मूसेवाला के लिए था. मुझे उनके गाने बहुत पसंद हैं और ज्यादातर मैं और हार्दिक तामोरे (विकेटकीपर) उनके गाने सुनते हैं. मैंने इसी तरह का जश्न पिछले मैच के दौरान भी मनाया था लेकिन तब इसे दिखाया नहीं गया था. मैंने फैसला किया था कि जब भी एक और शतक जड़ूंगा, इस तरह ही जश्न मनाऊंगा.’