दक्षिण अफ्रीका के भारतीय मूल के महान तेज गेंदबाज हुसैन अयूब का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. वह 81 वर्ष के थे. लेकिन वह रंगभेद नीति के कारण कभी भी देश के लिये नहीं खेल पाये. देश के इतिहास में अयूब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महान खिलाड़ियों में से एक थे लेकिन उन्हें रंगभेद की नीति के कारण देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं दिया गया. पोर्ट एलिजाबेथ में शनिवार को किडनी की बीमारी से जूझते हुए उनका निधन हो गया.
आईसीसी की विकास समिति में निभाई अहम भूमिका
इस तेज गेंदबाज ने जिंदगी में व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों तरह की कई बाधाओं का सामना किया जिसका जिक्र उन्होंने 2020 में आयी अपनी किताब ‘क्रासिंग बाउंड्रीज’ में किया है जिसकी प्रस्तावना वेस्टइंडीज के पूर्व कप्तान क्लाइव लॉयड ने लिखी थी. यूनाईटेड क्रिकेट बोर्ड (वर्तमान में क्रिकेट दक्षिण अफ्रीका) के गठन के बाद दक्षिण अफ्रीका को फिर से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शामिल किया गया और अयूब ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद की विकास समिति में अहम भूमिका निभायी थी.
पेशे से शिक्षक थे अयूब
अयूब ने कोचों की ट्रेनिंग की जिम्मेदारी भी ली और अपने जीवन का अंतिम दशक अफ्रीका में क्रिकेट के खेल के विकास में लगाया. पेशे से अयूब शिक्षक थे, उन्होंने अफ्रीकी महाद्वीप में क्रिकेट के प्रति लगाव विकसित करने में हजारों बच्चों का मार्गदर्शन किया. किडनी की बीमारी के दौरान उन्हें डायलिसिस के दौरान जिस भावनात्मक, शारीरिक और मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ा था, इस पर वह अपनी दूसरी किताब ‘माई लास्ट इनिंग्स’ पर काम कर रहे थे.