ICC U19 वर्ल्ड के सेमीफाइनल मैच में भारतीय टीम के उपकप्तान शेख रशीद ने 96 रनों की शानदार पारी खेलकर टीम की जीत में अहम भूमिका निभाई। जिसके बाद पूरी दुनिया शेख रशीद के नाम से परिचित हो गई है। आपको बता दें ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध इस मैच में कप्तान यश ढूल ने शतकीय प्रहार किया था|
जिसके बाद टीम ने 290 रन बनाए और आखिर में जीत भी हासिल की। लेकिन ये सब जो हमें अंडर19 के सेमीफाइनल में देखने को मिला, वो सिर्फ इन युवा खिलाड़ियों की मेहनत है ये कहना कतई ठीक नहीं है। इसलिए आज हम आपको बताएंगे उस जुनूनी पिता के बारे में जिसकी मेहनत, त्याग और कोशिश आज सभी को यंग स्टार शेख रशीद के रूप में देखने को मिल रही है।
शेख रशीद के शेख बालिशा आंध्र प्रदेश के गुंटूर के रहने वाले, जिन्हें दो बार उनके ऑफिस में ये कहा गया कि आप ऑफिस मत आना। कारण सिर्फ एक, वो अपने बेटे शेख रशीद को रोज प्रैक्टिस करवाने लेकर जाते थे| जिस कारण शेख बलिशा ऑफिस अक्सर लेट पहुंचते। वो अपने बेटे को रोज 12 किलोमीटर स्कूटर पर बैठाकर प्रैक्टिस करवाने लेकर जाते थे।
जिस वजह से ऑफिस कभी समय से नहीं पहुंचते थे। यहीं कारण भी था कि उन्हें ऑटोमोबाइल फर्म से अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी थी।
बालिशा ने अपने बेटे का करियर सुनहरा बनाने के लिए सिर्फ ऑफिस या टाइम की चुनौतियों का ही नहीं बल्कि पैसों की तंगी का भी सामना किया।
बेटे को प्रैक्टिस करवाने के लिए लैदर की बॉल 400 रुपये की आती थी, क्रिकेट कीट भी काफी महंगा था। यहीं कारण था कि इस पिता ने अपने बेटे की प्रैक्टिस जारी रहे इसके लिए उसे सिंथेटिक की बॉल से प्रैक्टिस करवानी शुरू कर दी। सिंथेटिक की बॉल लैदर की बॉल की कीमत पर तीन-चार आ जाती थी, जिस वजह से उन्होंने ऐसा करना शुरू किया था।
शेख रशीद बताते हैं कि जब टीम वेस्टइंडीज के लिए रवाना हो रही थी, तब उनके पिता के लिए पैसों का इंतजाम करना आसान नहीं था। लेकिन पिता ने किसी तरह पैसों का इंतजाम किया था। आंध्र प्रदेश के कोच ने अंडर19 के उपकप्तान रशीद के बारे में बात करते हुए कहा है कि ‘रशीद काफी सामान्य परिवार से आते हैं, मैंने उनके पिता जैसा समर्पित पिता कभी नहीं देखा।
मुझे पता है कि उनका करियर बनाने में उनके पिता का कितना बलिदान दिया है। उनके अलावा पूर्व सेलेक्टर एमएसके प्रसाद ने भी इस खिलाड़ी की कामियाबी के पीछे उनके पिता का ही हाथ बताया है। एमएसके प्रसाद को हमेशा ही रशीद के टैलेंट पर भरोसा था, लेकिन इस सब के लिए वह उनके पिता को ही श्रेय देते हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि बालिशवली ने बेटे के क्रिकेट करियर के लिए कितना ज्यादा बलिदान किया है।