Sarfarz Ahmed life fact: पाकिस्तान के पूर्व कप्तान सरफराज अहमद ने पिछले ही दिनों टेस्ट क्रिकेट में दमदार वापसी की है. उन्होंने साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ 4 पारीयों में तीन अर्धशतक लगाकर सबकों चौंका दिया. पाकिस्तान क्रिकेट फैंस को दो बार आईसीसी ट्रॉफ़ी का तोहफ़ा दे चुके सरफराज की पर्सनल लाइफ़ भी कम इंटररेस्टिंग नहीं है. आइये जानते हैं उनकी ज़िंदगी से जुड़ी कुछ ख़ास बातें.
दोस्त की बहन से की Sarfarz Ahmed ने शादी
पाकिस्तान के विकेटकीपर बैटर सरफराज अहमद की शरीक-ए-हयात हैं सैयदा खुशबख्त. सरफराज और सैयदा का प्यार पहली नजर में ही परवान चढ़ गया था. दोनों एक-दूसरे की मोहब्बत में गिरफ्तार जरूर थे पर 2 साल तक लब खामोश ही रहे. आखिर में सरफराज ने हिम्मत दिखाई नतीजतन, खुशबख्त उनकी खुशकिस्मती बन गईं.
इस लव स्टोरी की शुरुआत कुछ यूं हुई. सरफराज की खुशबख्त के भाई से दोस्ती थी. दोनों साथ में अंडर-12 क्रिकेट खेलते थे. खुशबख्त के वालिद अंपायर थे इसलिए सरफराज की उनसे भी जान पहचान थी. खुशबख्त के भाई ने क्रिकेट छोड़ी तो सरफराज से बातचीत भी कम हो गई. कुछ वक्त बीतने के बाद 2009 में दोनों की फिर मुलाकात हुई.
2010 में सरफराज अपने दोस्त के घर पहुंचे जहां पहली बार उन्होंने खुशबख्त को देखा. निगाहों का नशा ऐसा चढ़ा कि क्रिकेटर अपना दिल ही गंवा बैठा. बेचैन दिल को राहत देने के लिए घर आने-जाने का सिलसिला बढ़ गया. खुशबख्त सरफराज के इरादों से न सिर्फ वाकिफ थीं, बल्कि उनके लिए दिल में रजमांदी भी रखती थीं. हालांकि, घरवालों से कहने की हिम्मत किसी में ना थी. सरफराज ने जब रहा नहीं गया तो एक रोज उन्होंने अपनी मां के सामने दिल खोलकर रख दिया. फिर क्या था फौरन ही पैगाम भेजा गया. खुशबख्त और सरफराज का रिश्ता 2012 में तय हो गया. दोनों की शादी 2015 में हुई.
हाफ़िज़ ए क़ुरान हैं सरफराज अहमद
पाकिस्तान क्रिकेट टीम के कप्तान सरफराज का परिवार इस्लाम से खासा जुड़ा रहा. उनके पिता खुद एक धार्मिक इंसान थे और एक स्टेशनरी शॉप चलाते थे. उन्होंने अपने बेटे को कुरआन पढ़ाने के लिए दो धार्मिक गुरुओं को बुलाया था. चौंकाने वाली बात है कि सरफराज दस साल की उम्र में ही हाफिज बन गए थे. यहां हाफिज का मतलब ऐसे इंसान से हैं जिसे पूरा कुरआन याद हो.
भारत से है खास नाता
सरफराज अहमद का जन्म कराची में हुआ था. तारीख 22 मई और साल 1987 की. परिवार का अच्छा खासा प्रिंटिंग प्रेस का बिजनेस था. खानदान की जड़ें भारत के सबसे बड़े शहर उत्तर प्रदेश में भी फैली थीं. पिता का साया साल 2006 में सिर से उठ गया. प्रिंटिंग प्रेस का जमा जमाया बिजनेस छोड़ इस लड़के ने क्रिकेटर बनने का सपना देखा और पाकिस्तान का कप्तान बनकर इस सपने को बखूबी जीया भी.
पाकिस्तान को दो आईसीसी ट्रॉफी जीताई
सरफराज अहमद भले ही तीन साल पाकिस्तान टीम से दूर रहे लेकिन उनकी गिनती पाकिस्तान के सफलतम कप्तानों में होती है. उनकी कप्तानी में पाकिस्तान ने साल 2006 में भारत को हराकर अंडर-19 वर्ल्डकप जीता था. इसके बाद 2015 में सरफराज पाकिस्तान की नेशनल क्रिकेट टीम के कप्तान बने. और साल 2017 में भारत को हराकर पाकिस्तान ने पहला आईसीसी चैंम्पियन ट्रॉफी खिताब अपने नाम किया.